मे और महाराज - ( हमला_१) 33

  • 7.7k
  • 2.3k

" किसी काम के नही हो तुम। एक काम दिया था उसे भी खराब कर दिया।" शायरा की बहन ने अपना मुंह दूसरी ओर घुमाते हुए कहा।" इसमें मेरी कोई गलती नहीं थी राजकुमार अमन गलत वक्त गलत जगह थे।" उस नकाबपोश कातिल ने अपना पक्ष रखा।" अपनी गंदी जुबान से राजकुमार अमन का नाम भी मत लेना। दफा हो जाओ यहां से फिर कभी दिखना मत इस रियासत में।" बड़ी राजकुमारी ने सोने की कुछ अशरफिया उस नकाबपोश को दी और वहां से जाने के लिए कह दिया। जैसे ही वह वहां से चला गया एक दासी के हाथों उन्होंने