बेपनाह - 13

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13 दोपहर के करीब दो बज रहे थे और सब लोग खूब मस्ती करके वापस लौट आए थे लेकिन शुभी के दिलो दिमाग में रात की वो घटना दिन भर उथल पुथल मचाए रही, अब तो उस स्त्री से जाकर बात करके ही आऊँगी ! सब लोग थके हुए थे इसलिए खाना खाकर सो गये और शुभी चुपके से किसी से भी बिना कुछ कहे अकेले ही उसके घर की तरफ चल दी । अब जो होगा देखा जायेगा, किसी की परेशानी मेरी डांट से ज्यादा बड़ी है अगर सर डाँटेंगे तो सह लेंगे । शुभी के कदम बिना किसी