बेपनाह - 24

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24 “हे भगवान ! फिर मेरा यहाँ तुम्हारे पास क्या काम रहेगा, मुझे हॉस्पिटल में शिफ्ट होना पड़ेगा ! सिरियस लोग वहीं अच्छे लगते हैं ।“ शुभी ऋषभ को छेड़ने में लगी हुई थी जबकि ऋषभ बहुत गंभीर होकर बातें कर रहे थे । “तुझे सुधरना ही नहीं है, चाहें कोई कुछ भी कहे या समझाये !” “सही कहा मुझे यूं ही रहने दो पागल मूर्ख और कमअक्ल ! दुनिया में समझदार लोग बहुत हैं कुछ हम जैसे भी होने चाहिए न और सुनो, मुझे संभालने के लिए आप तो हो ही फिर मैं नहीं होना चाहती समझदार ।” “चल