मृग मरीचिका - 2

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- खंड-2 - देवेन्द्र भइया मेरे ताऊ जी के बेटे थे। ताऊ जी ने अपने जीवन काल में पर्याप्त संपत्ति अर्जित कर के अपने इकलौते बेटे को विरासत में दी थी। इसके अतिरिक्त देवेन्द्र भइया स्वयं अँग्रेजी हुकूमत में एक बड़े अफसर थे। हजारों लोगों को वहाँ भी उनसे काम पड़ता रहता था जिसके लिए वे लोग देवेन्द्र भइया को अपने सर पर उठाकर रखते थे। ऐसी-वैसी हैसियत का कोई आदमी उनके सामने पड़ने की हिम्मत तक नहीं करता था कि ज़रा-ज़रा-सी बात पर चाबुक उठा लेना उनके लिये मामूली बात थी। जाने कितने लोग उनकी ड्योढ़ी पर केवल सलाम