ये उन दिनों की बात है - 40

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तेरे जीनियस सागर भैया है ना!!अरे हाँ!! मैं तो भूल ही गई थी | चलो चलते है, उत्साहित होकर कहा मैंने |जैसे ही हम दोनों जाने के लिए खड़े हुए, एक मिनट......पर तू क्यों चल रही है? तू क्या करेगी वहाँ?मैं वो.......सागर से मिल............हा हा हा हा..........हम्म्म समझ गयी | सारी चॉकलेट्स तू ही खाना चाहती है ना अकेली, इसलिए मुझे नहीं ले जा रही |अरे दीदी!! चल ठीक है |शुक्र है भगवान का की इसने ज्यादा कुछ पूछा नहीं |थोड़ी ही देर मैं हम सागर के घर थे |दरवाजा दादी ने ही खोला था | दादाजी रामू काका के