मेरी भैरवी - 5

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5.डायन क्षेत्र में प्रवेश चेतना वापिस आते ही विराजनाथ अचानक से अपनी गहरी नींद से जाग जाता है और जागते ही अपने चारों ओर देखता है हल्का -हल्का सा अंधेरा था और आसमान में चंद्रमा की रोशनी भी धीमी पड़ रही थी..साथ ही तारों की चमक भी फिक सी होने लगी थी...धीरे -धीरे रात्रि का अंधकार समाप्त होने लगा था..और सुबहा की हल्की -हल्की लौ आसमानी रंग में फूटने लगी थी...आसमान ये देखकर अनुमान लगाया जा सकता था कि सुबहा के चार बजे गये होंगे ..और यह जो दृश्य आसमान में दिखाई दे रहा था और हल्की कोरेपन की मधूर से