तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - (भाग-18) - पन्कुडी और सार्थक क

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अस्मिता -- "क्या यह नजरे इकरार नही करतीं, क्या इश्क़ को हर लम्हा मुकरार नही करती माना हमेशा आपसे दिललगी की बातें हम करते नहीं आरजू है हमारी दिल के इजहार को सुनिये जनाब क्योकि इश्क़ मे इजहार लबो से जरुरी है ही नही।" अस्मिता की बात सुन आदित्य एकदम खामोश हो जाता है। अचानक ही आदित्य अपनी पॉकेट से कुछ निकालने लगता है। अस्मिता उसको ऐसे कुछ खोजता देख इशारे से पूछती है की क्या खोज रहे हो। आदित्य बस मुस्कुरा कर अपने पॉकेट मे से एक पतली सी सोने की कमरबंद निकालता है और अस्मिता को अपनी तरफ