Tere Mere Darmiyan yah rishta anjaana book and story is written by Priya Maurya in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Tere Mere Darmiyan yah rishta anjaana is also popular in Fiction Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
तेरे मेरे दरमियां यह रिश्ता अंजाना - Novels
by Priya Maurya
in
Hindi Fiction Stories
कहते है की सच्ची मोहब्बत किसी के रंग -रूप, वर्ग-धर्म, देखकर नही होती है। सच्ची मोहब्बत तो सीरत से होती है। इश्क़ इबादत होता है अगर एकबार हो जाये तो भूलना ना मुमकिन सा हो जाता है। चलिये आपको ले चलते है ऐसे ही मोहब्बत की दुनिया में जिसमें हर किसी को एक दुसरे से प्यार है लेकिन कुछ समाज की बन्दीसे तो कुछ आपसी रंजिशे आ जाती हैं विघ्न बन के। समाज के बनाए दायरों और आपसी रंजिशो से ऊपर उठ क्या यह बेपनाह मोहब्बत करने वालीं अद्भुत जोडियाँ मिल पायेंगी या सच्चे प्रेमियों की एक बार फिर बली चड जायेगी?"
कहते है की सच्ची मोहब्बत किसी के रंग -रूप, वर्ग-धर्म, देखकर नही होती है। सच्ची मोहब्बत तो सीरत से होती है। इश्क़ इबादत होता है अगर एकबार हो जाये तो भूलना ना मुमकिन सा हो जाता है। चलिये ...Read Moreले चलते है ऐसे ही मोहब्बत की दुनिया में जिसमें हर किसी को एक दुसरे से प्यार है लेकिन कुछ समाज की बन्दीसे तो कुछ आपसी रंजिशे आ जाती हैं विघ्न बन के। समाज के बनाए दायरों और आपसी रंजिशो से ऊपर उठ क्या यह बेपनाह मोहब्बत करने वालीं अद्भुत जोडियाँ मिल पायेंगी या सच्चे प्रेमियों की एक बार फिर बली
अस्मिता को जैसे ही होश आता है वो सिर झटक के मन मे सोचती है-" अस्मिता क्या देख रही थी तू कहा है और वो कहा।" आदित्य अब भी उसे ही देख रहा था। फिर अचानक वो गाड़ी से ...Read Moreकर आता है और अस्मिता के पास आता है। आजतक दक्षिणी टोले के लोगों के इतना करीब कोई भी हवेली का नही आया था। सबकी डर से हालत खराब हो रही थी। अस्मिता को किसी की परवाह नही थी उसके आँखो मे हवेली के खिलाफ जाने का ना ही डर था ना ही अफसोस। उसके पास आकर आदित्य बोलता है-"
अस्मिता का कमरा -- अस्मिता अपने घर मे बैठी थी मुँह फुलाए की उसके बाबा आते है। घनश्याम जी-" अरे बिटिया क्यू गुस्सा हो रही हो हमसे आप तो जानती हो वो हवेली वाले है हम जितना उनसे दूर ...Read Moreहमारे लिये उतना ही अच्छा है ।" अस्मिता-" तो बाबा हमेशा हम उनसे डरते रहे और उनसे दब कर रहे क्या।" घनश्याम जी-" बेटा यह तो सालो से होता हुआ आ रहा है और वो हवेली के लोग हम दक्षिणी टोले वालों को अपने पैरो की जुती ही समझते है ।" फिर कुछ देर बाद-" अच्छा तो आप जाओ अपने
आदित्य उसके चेहरे को याद करते हुये- "जो इस दिल मे मनादे सावन मे दिवाली। शराबी होठ और कातिल नजरोवाली मेरा दिल भी ले गयी वो जिसकी थी नसीली आंखे और चाल मतवाली।" रौनक -" इश्क़ के मारे नाम ...Read Moreबतायेगा उनका।" आदित्य-" पता नहीं।" रौनक-" क्या तुझे उसका नाम तक नही पता अच्छा कहा रहती है वो बता।" आदित्य -" दक्षिणी टोले में।" रौनक उछलते-" अबे पागल हो गया है क्या तुझे पता भी है क्या बोल रहा है तू उन छोटे वर्ग वाले और हमारा कही मेल है।" आदित्य-" तू भी यही सब बोलने लगा अब तेरे पढे
गाँव की दुसरी तरफ पंचायत बैठी थी । सरपंच जी पेड के नीचे अपने आसन पर विराजमान थे। साथ ही गाव के सारे वर्ग के लोग बैठे थे वही एक तरफ कोने मे दक्षिणी टोले के लोगो के लिये ...Read Moreथी जहा पर घनश्याम जी उर्मिला चाची छोट्की की अम्मा छोट्की को लिये हुये और भी गाव के लोग थे। वही एक तरफ सोम और उसके माता पिता भी थे। उनमे से किसी के भी चेहरे पर कोई पछतावा नही दिख रहा था बल्कि चेहरे पर घमंड था और आँखो मे इतना अभिमान मानो बोल रहे हो की उन्ही की