मुझे कौन बचाएगा

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वंदना अपने माता पिता संजना और विजय की इकलौती संतान थी। वह बहुत ही मेहनती और महत्त्वाकांक्षी लड़की थी। बड़े-बड़े सपने लेकर अपने छोटे से घर में रहती थी। अपने माता-पिता को कैसे ख़ुशियाँ दूं, उसकी ज़िंदगी का ये ही बहुत बड़ा सपना था। वंदना की पढ़ाई का अंतिम वर्ष चल रहा था। देर रात तक उसे पढ़ते देख उसकी माँ ने कहा, "अरे वंदना बेटा अब बस भी करो, सो जाओ, बीमार हो जाओगी बाक़ी की पढ़ाई कल कर लेना।" "मुझे बहुत आगे जाना है सफ़र बहुत लंबा और मुश्किल भी है जो समय पर पूरा करना है और फिर मुझे अपनी