मॉटरनी का बुद्धु - (भाग-18)

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मॉटरनी का बुद्धु---(भाग-18)संभव हर वीकैंड पर आ रहा था। सभ्यता के पेपर भी शुरू हो गए थे। डॉ. ने फिजियोथेरेपिस्ट को समझा कर भेज दिया था तो रोज संध्या का सैशन हो रहा था। नर्स सुनिता की देखरेख में हो रहा था तो भूपेंद्र जी स्कूल में थोड़े रिलैक्स रहते। गर्मियों की छुट्टियाँ नजदीक थी ...... पूरा एक महीना चलते रहे सभ्यता के पेपर इस दौरान संभव नहीं आया क्योंकि वो सभ्यता को डिस्टर्ब नहीं करना चाहता था पर फोन पर बातों का सिलिसला चल रहा था। संभव धीरे धीरे ऑफिस के माहौल में एडजस्ट हो रहा था, पर इसका