रस्बी की चिट्ठी किंजान के नाम - 9

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कभी - कभी मुझे तुझ पर जबरदस्त गुस्सा आ जाता था। मैं सोचती, आख़िर तेरी मां हूं। तुझसे इतना क्यों डरूं? एक ज़ोर का थप्पड़ रसीद करूं तेरे गाल पर, और कहूं- खबरदार जो ऐसी उल्टी- सीधी बातों में टाइम खराब किया। छोड़ो ये सब और अपनी पढ़ाई में ध्यान दो। पहले पढ़- लिख कर कुछ बन जाओ तब ऐसे अजीबो- गरीब शौक़ पालना! पर बेटा, तभी मैं डर जाती। मैं सोचती कि अब मैं इंडिया में नहीं अमेरिका में हूं। इंडिया में तो एक अस्सी साल का बूढ़ा आदमी भी अपने पचास साल के बेटे को डांट सकता है,