Rasbi kee chitthee Kinzan ke naam book and story is written by Prabodh Kumar Govil in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Rasbi kee chitthee Kinzan ke naam is also popular in Fiction Stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
रस्बी की चिट्ठी किंजान के नाम - Novels
by Prabodh Kumar Govil
in
Hindi Fiction Stories
आजा, मर गया तू?
मैं बरसों से चुप हूं। कुछ नहीं बोली। बोलती भी क्या? न जाने ये सब कैसे हो गया। मैं मर ही गई।
मैं यहां परलोक में आ गई। तू वहीं रह गया था दुनिया में। मैं अभागी तो रो भी न सकी। कैसे रोती? दुनिया कहती कि कैसी पागल औरत है, इस बात पर रोती है कि इसका बेटा मरा नहीं।
अरे बात तो एक ही है न। तू जीवित रहा, पर मैं तो मर गई न। बिछुड़ तो गए ही हम। मैं जब मर कर यहां आई तो मैंने तुझे खूब ढूंढा। पर तू मुझे कैसे मिलता? तू तो वहीं दुनिया में ही था।
जब मुझे पता चला कि मेरे साथ धोखा हो गया है। मैं मर गई और तू वहीं है, मरा नहीं, तो मैं चुप हो गई। कहती भी क्या? किससे कहती?
पर अब मैं बोलूंगी। मुझे तुझसे कुछ नहीं कहना। पर दुनिया को तो बताना है न।
तुझसे क्या कहूंगी? तुझे देख पा रही हूं यही बहुत है मेरे लिए। बरसों इंतजार किया है मैंने तेरा।
समय ने कैसा गुल खिलाया कि मैं, तेरी मां, बरसों से तेरे मरने का इंतजार कर रही हूं।
अब दुनिया को बताना तो पड़ेगा न, कि ये सब क्या गोरखधंधा है। नहीं तो दुनिया मुझे पागल समझेगी। धूर्त समझेगी। ऐसी पिशाचिनी समझेगी जो अपने पुत्र के मरने की बात करती है।
आजा, मर गया तू? मैं बरसों से चुप हूं। कुछ नहीं बोली। बोलती भी क्या? न जाने ये सब कैसे हो गया। मैं मर ही गई। मैं यहां परलोक में आ गई। तू वहीं रह गया था दुनिया में। ...Read Moreअभागी तो रो भी न सकी। कैसे रोती? दुनिया कहती कि कैसी पागल औरत है, इस बात पर रोती है कि इसका बेटा मरा नहीं। अरे बात तो एक ही है न। तू जीवित रहा, पर मैं तो मर गई न। बिछुड़ तो गए ही हम। मैं जब मर कर यहां आई तो मैंने तुझे खूब ढूंढा। पर तू मुझे
वो कौन थी? वो मेरी मां थी। बताया ना। बहुत मुश्किल जगह में रहती थी। सब सोचेंगे कि ये मुश्किल जगह क्या होती है। जगह या तो ठंडी होती है, या गर्म। ज़्यादा बरसात वाली होती है। पथरीली, बंजर, ...Read Moreमैदानी... पर ये मुश्किल जगह क्या होती है! मुश्किल माने ऐसी जगह जहां अच्छे लोग नहीं होते। उसे इस बात का दुख नहीं होता था कि उसे चार किलोमीटर दूर से पीने का पानी लाना पड़ता है और गांव में ज़रूरत की चीज़ों तक की कोई दुकान नहीं है, बिजली नहीं आती, उबड़- खाबड़ रास्तों पर पैदल ही इधर -
फ़िर मेरा जन्म हुआ। मेरे पैदा होने से पहले ही मेरे पिता मेरी मां को छोड़ कर जा चुके थे। कत्ल की आरोपी "खूनी" मां के साथ भला कौन रहता। सिवा मेरे, क्योंकि मैं तो उसके पेट में ही ...Read Moreमेरी मां बताती थी कि एक बड़ा रहमदिल अफ़सर उसे मिला जिसने सब लिखा - पढ़ी करवा कर मेरे जन्म की व्यवस्था भी करवा दी और मुझे मां के साथ जेल में ही रखे जाने की बात भी सरकार और कानून से मनवा दी। बेटा, अब तक तो मैंने सब सुनी सुनाई कही, पर अब तुझे मेरी आंखों देखी और
कुछ ही दिनों में मेरी ज़िन्दगी में एक बहुत मज़ेदार दिन आया। मैं आज भी पूरे दिन इस मज़ेदार दिन की बातें चटखारे लेकर करती रह सकती हूं। ये था ही ऐसा। मेरे जीवन का एक अहम दिन। इस ...Read Moreमैंने एक साथ सुख और दुख को देखा, एक दूसरे से लिपटे हुए। छोटी सी तो मैं, और इतना बड़ा सुख? छोटी सी मैं, हाय, इतना बड़ा दुःख?? बेटा, ज़्यादा पहेलियां नहीं बुझाऊंगी, वरना तू खीज कर गुस्सा हो जाएगा। बताती हूं। सब बताती हूं साफ़- साफ़। हुआ यूं, कि वो जो अच्छे लोग हमारे जेल में आए थे वो
ये समय मेरे लिए तेज़ी से बदलने का था। बहुत सी बातें ऐसी थीं जिनमें मैं अपनी मां के साथ रहते- रहते काफ़ी बड़ी हो गई थी। अब मम्मी के साथ आकर मैं फ़िर से बच्ची बन गई। दूसरी ...Read Moreकई बातें ऐसी भी थीं जिनमें मैं अपनी मां के साथ रहते हुए बिल्कुल अनजान बच्ची ही बनी हुई थी पर मम्मी के साथ तेज़ी से बढ़ने लगी। ये दुनिया भी खूब है। जो मुझे दुनिया में ले आया उसने कुछ नहीं दिया और जिन्होंने मुझ पर तरस खाकर मुझे अपनाया उन्होंने मेरे लिए तमाम खुशहाली के रास्ते खोल दिए।