विविधा - 43

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43-जनतन्त्र-नये आयाम  जनवरी 1925 में महात्मा गांधी ने स्वराज्य की परिभापा करते हुए कहा था ‘सच्चा स्वराज्य थेड़े से लोगों के सत्ता में आ जाने से नहीं, कल्कि सत्ता का दुरुपयोग होने पर सारी जनता में उसका प्रतिकार करने की क्षमता आने से हासिल होगा। दूसरे शब्दों में, स्वराज जनता में इस बात का ज्ञान पैदा करके प्राप्त किया जा सकता है कि सत्ता पर कब्जा करने और उसका नियमन करने की क्षमता उसमें है।’ और जयप्रकाश ने कहा-‘मेरे सपनों का भारत एक ऐसा समुदाय है, जिसमें हर एक व्यक्ति, हर एक साधन निर्बल की सेवा के लिए समर्पित है।