टॉम काका की कुटिया - 12

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12 - दास की रामकहानी दिन ढल चुका है। आकाश मेघाच्छन्न है। थोड़ी बूँदा-बाँदी हो रही है। बटोही संध्या का आगमन देखकर होटलों में आश्रय लेने लगे। एक होटल केंटाकी प्रदेश के सदर रास्ते के बहुत निकट था। यहाँ सदैव लोगों का आना-जाना बना रहता था। इस होटल के सामने की कोठरियाँ औरों की निस्बत अधिक गंदी थीं। बड़े आदमियों के नौकर-चाकरों तथा मजदूरों से ही ये कोठरियाँ भरी हुई थीं। पीछे की ओर की कोठरी में राह की थकावट मिटाने के लिए दो आदमी बैठे हुए हैं। उनमें एक का नाम विलसन है। विलसन ने जवानी बिताकर बुढ़ापे में