कहानी प्यार कि - 13

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किंजल अनिरूद्ध को गुस्से से देख रही थी...और उसके हाथ में अनिरूद्ध का लिखा हुआ कार्ड भी था जिसे किंजल ने मरोड़ दिया था मुठ्ठी मे.." किंजल तुम यहां कैसे मतलब .. मैंने तो संजना को ये कार्ड .." अनिरूद्ध थोड़ा घबरा गया था.. किंजल को गुस्से में देखकर.." हा ये कार्ड मैने उठा लिया था.. तो..? तुम्हे कुछ काम था क्या संजना से ? " " हा वो वो मुझे कुछ कॉन्ट्रैक्ट के बारे में बात करनी थी इसलिए ..? " " हा तो फिर एसे चोरी छुपी उसे क्यों बुला रहे हो.. चलो वो कमरे में ही है