भोर की किरणों सी सकारात्मक - ’खुसुर पुसुर’

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[ नीलम कुलश्रेष्ठ ] आदरणीय कन्हैया लाल पांडेय जी से वड़ोदरा में उनका सन 2006 में उनका उसी शहर में वहीं लिखा, शिल्पायन प्रकाशन, देल्ही से प्रकाशित काव्य संग्रह 'भीगी हवाएँ' भेंट में मिला था और अब सन 2021 में पोस्ट से उनका लघुकथा संग्रह 'खुसुर पुसुर 'भेंट में मिला है। बहुत धन्यवाद व आभार ! सन 2006 में मुझे उनके काव्य संग्रह की इन पंक्तियों को पढ़कर बहुत तीष्ण आध्यात्मिक अनुभूति महसूस हुई थी ; ''ढूँढ कर मिल न पाएं जब तुम्हें विश्रांति के क्षण, तब मुझे आवाज़ देना शांत स्वर से मैं वहीं उस सप्त सुरमय गीतिका में