अंधविश्वास का जादू

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कोई कुछ भी कहे, हमारा देश महान तो है ही। जरा आप ही सोचिए-इस संसार में है कोई ऐसा देश, जहाँ देवी-देवताओं की संख्या उतनी ही हो, जितनी योनियाँ। यानी चौरासी लाख। इतना ही क्यों कुछ वर्ष पूर्व इस देश की आबादी भी तो तकरीबन उतनी ही थी। यानी एक आदमी के हिस्से एक देवी या देवता। वाह, कितना अच्छा हिसाब था... ! इंसाफ था! आप कह सकते हैं कि अब तो जनसंख्या बहुत बढ़ गई है फिर, तो जनाब, आप क्या समझते हैं, लोग बढ़े हैं, तो क्या देवी-देवता नहीं बढ़े हैं। अब तो कई ‘बाबा’ और ‘माई’ लोग