ममता की परीक्षा - 84

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"दीदी !" कहने के बाद बिरजू की तरफ से एक पल की खामोशी भी रजनी को अखर रही थी।उसके आगे के शब्द सुनने के लिए रजनी की बेकरारी बढ़ती जा रही थी। खुद पर काबू रखते हुए वह अधीरता से बोली, "हाँ, बोलो, सुन रही हूँ। बोलो न, क्या बताना चाहते थे ?"बिरजू असमंजस में था। सोच रहा था, क्या करे ? बताए या न बताए ? लेकिन वह खुद भी जानना चाहता था कि आखिर असलियत क्या है उस तस्वीर के अमर भैया की जेब में होने का ? अमर भैया तो शायद नहीं भी बताएँगे.. और फिर कोई