किंबहुना - 8

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आरती का विश्वास दृढ़़ से दृढ़़तर हो गया था कि आलम के उस औरत से सम्बंध हैं। वह नियमित उसके घर जाता है। आलम को मुझसे कोई प्रेम नहीं, यहाँ तक कि मेरे शरीर से भी बहुत गरज नहीं है! उसकी जरूरतें कहीं और पूरी हो रही हैं। और उसे तो आलम से रत्ती भर भी प्रेम नहीं था, इसलिए उसके लिए उसके साथ सोना, घर के काम निबटाने जैसा था। जिसमें कि कोई रस नहीं था। जिसे रति कहते हैं, शायद बिना प्रेम के संभव नहीं थी! और मजे की बात यह कि आलम के लिए भी वह