किंबहुना - 24

  • 2k
  • 1k

24 सुबह उठी तो लगा, बीमार है। चेहरा मुरझाया हुआ। ऑफिस पहुँच कर भी किसी काम में मन नहीं लगा। जबकि एक प्रोजेक्ट तैयार करना था। अहमदाबाद में ट्रेनिंग होने वाली है। और यहाँ हर्ष को किसके सहारे छोड़ जाए! पुष्पा के पास छोड़े तो पढ़ाई मारी जाए और पुष्पा को यहाँ रखे पंद्रह दिन तो क्षेत्र का काम सफर हो। वो पूरा एक जोन सँभालती है। आरती की अनुपस्थिति में भी प्रोग्रेस निल नहीं होने देती। ऐसे ही मौकों पर लगता है कि कामकाजी और खास कर फील्ड वर्कर उस पर भी सोशल सेक्टर में काम करने वाली महिला