ममता की परीक्षा - 107

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अपनी करुण गाथा सुनाते हुए जूही एक बार फिर सिसक पड़ी थी। उसकी दास्तान सुनते हुए साधना व रमा की आँखें भी लगातार बरसती रहीं। अपनी सिसकियों पर काबू पाते हुए जूही ने आगे बताना शुरू किया, "उस दिन बड़ी देर तक सब लड़कियाँ मुझे घेरे रहीं सहानुभूति जताते हुए। रात अधिक हो चुकी थी। एक एक कर सब गहरी नींद में सो गई थीं लेकिन नींद मेरी आँखों से कोसों दूर थी। जिसका तन और मन घायल हो बुरी तरह से उसे भला नींद आती भी कैसे ? दरवाजे पर पर किसी के कदमों की आहट से पलटकर उस