एक रूह की आत्मकथा - 24

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कामता प्रसाद ने रेहाना को बताया कि अनीस को देखते ही उनके छोटे बच्चे मुस्कुराने लगते थे कि अब ये सीधे दीदी के कमरे में घुसेंगे|यह सब सुनना- कहना बहुत बुरा लगता है |आपके नाते ही उनसे रिश्ता जुड़ा था|आप ही उन्हें इस तरह समझा दीजिए कि उन्हें बुरा भी न लगे| रेहाना ने उन्हें आश्वस्त किया पर खुद संकोच में पड़ गयी कि अनीस से इस तरह की घटिया बातें कैसे करे ?जब वे घर आए तो सहज भाव से उसने बस इतना ही कहा-"आप मेरे साथ ही कामता प्रसाद जी के घर जाया करें|" उसके इतना कहते ही