किंबहुना - 27 - अंतिम भाग

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27 (अंतिम भाग) शीतल व्यापारिक जगत का प्राणी था और उसे धन कमाने का इतना चस्का कि इसी कारण उसने शादी न की कि कौन गृहस्थी के झंझट में पड़ेगा। वह कंपनियों के भी शेयर खरीदता-बेचता और सोने-चाँदी के भी। दिल्ली में बाकायदा उसने अपना ऑफिस बना रखा था, जिसमें छह-सात नियमित कर्मचारी काम करते थे। इस काम में कभी-कभी इतना पैसा आ जाता कि वह कुछ भी खरीद सकता था और किसी की भी मुराद पूरी कर सकता था। लेकिन कई बार लेने के देने पड़ जाते, करोड़ों का कर्ज चढ़ जाता। सब कुछ खरीदा हुआ बिक जाता- कार,