एक रूह की आत्मकथा - 26

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कामिनी की माँ नन्दा देवी अपने बेटे स्वतंत्र को लेकर बहुत चिंतित थीं ।स्वतंत्र के पास कोई नौकरी.... कोई काम नहीं था।उसकी शादी हो चुकी थी और उसकी दो बेटियाँ भी हो चुकी थीं।परिवार की आर्थिक स्थिति डाँवाडोल थीं ।वे चाहती थीं कि कामिनी स्वतंत्र को कोई काम दिला दे या फिर अपना ही प्राइवेट सेक्रेटरी बना ले।पर कामिनी को अपने काम और समर से इतनी फुर्सत ही नहीं मिलती थी कि वह अपने मायके की तरफ से भी कुछ सोचे। नंदा देवी सोचतीं कि इसी घर में पली -बढ़ी कामिनी को इस घर के प्रति किसी जिम्मेदारी का अहसास