लालच

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चारोऔर  भगदड़ मची है इंसान इंसान का भुखा :⁠' भूख और लालच है ही कुछ ऐसी भुख लगे और कुछ खाने को न हो वो जो दिखे उसे खाने की कोशिश और छीना झपटी और लालच वो भुख को भी मार देती है लालच , , लालच हां लालच ही तो था .... जिससे दुनिया कहां से कहां और क्या से क्या हो गई ....... हरी भरी दुनिया अब बड़े बड़े कंक्रीट के महलों से भर गई ये लालच .. ऊंट, घोड़े, बैल गाड़ी हुआ करती थी आज क्या नही है मिनटों में कहां से कहां पहुंचा जा सकता है