एक रूह की आत्मकथा - 38

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दिलावर सिंह की योजनानुसार समर ने मयंक को फोन किया और उसे बताया कि वह बाईज्जत वरी हो गया है।हत्यारे का कोई सूत्र न मिलने से कामिनी हत्या -कांड की फाइल को ही बंद कर दिया गया है। वह आजाद तो हो गया है पर कामिनी की यादों से आज़ाद नहीं हो पा रहा।वह अवसाद का शिकार है।उसे अपने मित्र की जरूरत है। क्या वह इंडिया आ सकता है?न आ पाए तो वही अमेरिका आ जाए।कुछ दिन का बदलाव जरूरी है।उसके बाद ही वह अपने जीवन में आगे बढ़ पाएगा। समर की बातें सुनकर मयंक ने राहत की सांस ली।वह