मौत का छलावा - भाग 4

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" अरे महाबली तुम कैसे विचलित हो उठे ? तुम तो मेरे वह शिष्य हो जो मौत से भी भयभीत नही होता। भय की झील को मन से उलेच दो। तुम प्रयास का दामन मत छोड़ो वत्स जहां से अंधेरे की शुरूआत होती है वही पर उसका अंत भी रहता है। इसलिए तुम अपने समस्त आत्मबल को एकत्र करो। मुझे विश्वास है कि तुम निश्चित ही इस जाल से निकल जाओगे, " गुरू बाबा ने सूर्यवंशी को कहा।'एक दुखद खबर है तुम्हारे लिए सूर्यवंशी, मै चाहकर अपनी शक्तियों से भी तुम्हारी सहायता नही कर सकता। यह जो चक्र तुम्हारे इर्द-गिर्द