संत तुकाराम

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विक्रम की सत्रहवीं सदी के महाराष्ट्र ने संत एकनाथ, समर्थ रामदास और संत तुकाराम के रूप में भारतीय इतिहास को परम पवित्र देन से समलंकृत किया है। तुकाराम महाराज ने अपनी वाणी से महाराष्ट्र में विट्ठल की भक्ति की गंगा प्रवाहित कर दी। उन्होंने संत साहित्य की समृद्धि मे महान योगदान दिया। जिस समय महाराष्ट्र में ही नही, सम्पूर्ण भारत-भूमि में परधर्मियो द्वारा देवमंदिर विध्वंस और नष्ट किये जा रहे थे, संस्कृति और धर्म पर बड़ी-बड़ी विपत्ति पड़ने की आशंका थी, उस समय तुकाराम महाराज और स्वामी समर्थ रामदास ने जन्म लेकर भारतीय अध्यात्म क्षेत्र को, ज्ञानेश्वर, नामदेव और एकनाथ