एक रूह की आत्मकथा - 57

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रेहाना लीला के लिए खुश है कि उसने खुद को 'लड्डू गोपाल' के हाथों समर्पित कर दिया है ।लड्डू गोपाल यानी कृष्ण का बाल रूप।इधर हर दूसरे हिन्दू घर में लड्डू गोपाल पूजे जा रहे हैं। उनके लिए उन घरों में विशेष स्थान निर्धारित है।कहीं वे सिंहासन पर तो ,कहीं झूले पर विराजमान हैं।अपनी सामर्थ्य के हिसाब से उनको जेवर -कपड़ों से सजाया जाता है।जाड़े में गर्म कपड़ों व गर्मी में सूती या रेशमी कपड़े पहनाए जाते है।उनके लिए पर्याप्त रोशनी,हवा,भोजन आदि की व्यवस्था की जाती है।बिल्कुल किसी नन्हे बच्चे की तरह उनकी देखभाल की जाती है।वे औरतें भी,जो अपने