ढ़लती शाम

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भीखू ठेले पर चूड़ियां और अन्य सिंगार के सामान भेजता था।घर पर पत्नी और बूढ़े माँ-बाप थे।शादी को चार साल हो गए थे,मगर घर में बच्चों की किलकारी नहीं गूंजी थी।कई जगह मिन्नतें भीखू और उसकी पत्नी सविता मांग चुके थे, कई जगह दवाई भी करवा चुके थे।मगर,कोई फायदा नहीं हुआ।इसके अलावा घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी।दिनभर जो कुछ बिकता था,बस उसी से घर चलता था।एक दिन की बात है.... भीखू की तबियत कुछ ठीक नहीं थी।फिर भी वह कमाने के लिए तैयार हो रहा था।यह देखकर सविता बोली"अरे,यह तुम क्या कर रहे हो?जब तबियत खराब है तो