मुजाहिदा - ह़क की जंग - भाग 18

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भाग 18वह सोचने लगी काश! कोई आकर उसे कपड़े बदलने की इजाज़त देदे।आरिज़ की बड़ी भाभी साहब अफसाना ने आकर फिज़ा को रस्मों के बारें में इत्तिला दी और ये भी कहा- "दुल्हन आप तैयार हो जायें, एक घण्टे में रस्मों के लिये औरतें आने वाली हैं। ये भारी भरकम शरारा कुर्ती उतार दें और सिल्वर जरी वाला सूठ पहन लें। और हाँ दुल्हन, जेवर अभी न उतारें उसे पहने रहें। जब तक मोहल्ले, खानदान के सब लोग न देख लें। नई नवेली दुल्हन के जिस्म पर जेवर न हों तो खानदानी रसूख चला जाता है, तब तक मैं कुछ