कहा गुलाब ने-श्यामा सलिल

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कहा गुलाब नेः हम उगाएँगे हँसी दुःख की फसल सेहिंदी कविता के साथ एक अजीब सी परम्परा रही है कि जो कवि मंच पर जितना श्रेय प्राप्त करता हैं, मंच से दूर प्रकाशन जगत में उतना ही कम जाना जाता है। लेकिन ‘लीक छोड़ तीनहि चले शायर, सिंह, सपूत’ की परम्परा भी सर्वश्रुत और सर्वग्राहृ है। इसी की अनुगामिनी बनकर कवियत्री श्यामा सलिल ने दोनों क्षेत्रों में अपनी लोकप्रियता बनाए रखी थी। उन्होंने हर प्रकार की कविता लिखी। मुक्त छंद एवं छंद मुक्त कविता से लेकर नवगीत तक वे बड़े मार्मिक ढंग से सफलतापूर्वक लिखती रही। तीस वर्श की काव्य