मुसाफ़िर जाएगा कहाँ?--भाग(१२)

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तब दयाराम बोला.... साध्वी जी ऐसा तो किसी के साथ नहीं करतीं,पता नहीं वो आपके साथ ऐसा क्यों कर रहीं हैं,कोई भी फरियादी उनके द्वार से कभी यूँ नहीं लौटाया जाता जैसा कि उन्होंने आपको लौटा दिया,हुजूर! इस के पीछे जरूर कोई गहरी बात छुपी है,तभी तो उन्होंने ऐसा किया , अब उनके मन की तो वें ही जाने,मैं कैसें उनके मन की बात जान सकता हूँ कि क्या चल रहा है उनके मन में ,? कृष्णराय जी बोले... तो चलिए फिर रेस्ट हाउस चलते हैं,उनसे मुलाकात की उम्मीद करना बेकार है ,दयाराम बोला... हाँ! अब मुझे भी यही लगता है, ,कृष्णराय जी बोले...