एक योगी की आत्मकथा - 36

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पश्चिम के प्रति बाबाजी (महाअवतारी बाबा) की अभिरुचि“गुरुदेव! क्या आपको कभी बाबाजी का दर्शन हुआ है ?”गर्मियों के मौसम की शान्त रात्रि का समय था। सिर पर आकाश में बड़े-बड़े तारे चमक रहे थे। मैं श्रीरामपुर के आश्रम में दूसरे तल्ले के बरामदे में श्रीयुक्तेश्वरजी के पास बैठा हुआ था।मेरे इस सीधे प्रश्न पर मुस्कराते हुए उन्होंने कहाः “हाँ, हुआ है।” और उनकी आँखें श्रद्धा एवं आदर से चमक उठीं। “अमर गुरु का तीन बार दर्शन करने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ है। प्रथम दर्शन प्रयाग के कुम्भ मेले में हुआ था।”अति प्राचीन काल से ही भारत में कुम्भ मेले