हास्य का तड़का - 5

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मम्मी : बेटा , मोबाइल छोड कभी किताबों को भी देख लिया करो सोनू : मम्मी , किताबों को जब भी देखता हूं तो मुझे नींद आने लगती हैं पता नहीं कौन सा भूत छिपा है इसमें मम्मी : अच्छा , ला मेरी चप्पल पहले तेरा मोबाइल का भूत उतारू बाकी के भूत ख़ुद ब खुद उतर जाएगें बंटी था गबरू जवान तो हमारी बबली थीलाल गुलाब एक दिन अचानक हुई दोनों की अंखियां चारअंखियों ही अंखियों में बज गया दोनों के दिल का गिटार यहीं से हुई उनकी प्रेम प्रसंग की शुरुआत कभी पार्क में तो कभी एकांत