वो माया है.... - 82

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(82) बद्रीनाथ ने घर से निकलना लगभग बंद ही कर दिया था। बाहर निकलते थे तो लोग बेवजह की हमदर्दी दिखाते थे। जिसमें उनके दुख को लेकर अफसोस तो प्रकट करते थे पर साथ ही ऐसा कुछ बोल देते थे जो उनकी परवरिश पर सवाल खड़े कर देता था। वह बहुत दुखी रहते थे। उन्होंने अब सबकुछ किस्मत पर छोड़ दिया था। किशोरी ने एक दो बार उनसे बाबा कालूराम के पास जाने के लिए कहा भी तो उन्होंने टाल दिया।आज जगदीश नारायण से उनकी बात हुई थी। उन्होंने कहा था कि विशाल का केस अब आसान नहीं रह गया