असमर्थों का बल समर्थ रामदास - भाग 13

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जामगाँव में जनजाग्रतिघर वापस आते ही समर्थ रामदास ने जड़ी-बूटी से बनी दवा माँ की आँखों में डालना शुरू किया। यह करते समय वे प्रभु राम से प्रार्थना करना नहीं भूलते। उनकी कोई भी प्रार्थना प्रभु श्रीराम ने कभी अनसुनी नहीं की। कुछ ही दिनों में माँ की धुँधली दृष्टि साफ होने लगी। अपने पुत्र और परिवार को वह साफ-साफ देखने लगी।यह खबर हवा के झोकों की तरह दूर-दूर तक जा पहुँची कि राणोबाई का पुत्र नारायण चमत्कारी साधु बनकर लौट आया है और उसने चमत्कार से अपनी माँ का दृष्टिदोष दूर किया है। सुनकर लोगों के मन में उनके