मौत या मोहब्बत । - 1

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कयामत से कम नहीं था ये मंजर , जब चारों तरफ आग और दहशत का बोल बाला था , ना यही कोई किसी का हमदर्द ,, ना ही आज कोई साथ देने वाला था । चारों तरफ मौत का मातम फैला था , उसने जब खून से रंग खेला था , कोई नही था उन जालिमों को रोकने वाला , हर तरफ लड़कियां बन रही थी , इन वेहशियो का निवाला । । कहते हैं है रात के बाद सुबह का सूरज निकलता है और सही कहते हैं आजमगढ़ में सूरज आज भी अपने वक्त पर निकला ना एक मिनट