बुढ़ापे से जवानी की ओर (सच्ची घटना) - 4

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बुढ़ापे से जवानी की ओर - 4 (सच्ची घटना) आर० के० लाल   रुक्मणी के साथ भी वैसा ही हुआ जैसा अक्सर अन्य लोगों के साथ होता है। रुक्मणी केंद्रीय विद्यालय में प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत थी और दो साल पहले सेवा-निवृत हुई थी। इन दो वर्षों में ही वे बहुत उम्र वाली लगने लगी थी । सेवाकाल की एक्टिवनेस, चुस्त-दुरुस्त स्टाइलिश साड़ी ड्रेपिंग सहित लुभावना मेक-अप न जाने कहाँ विलुप्त हो चुका था। पड़ोसी भी कहते क्या ये वही प्रिंसिपल साहिबा हैं जिनका कभी रुतबा हुआ  करता था । बड़ी इज्जत थी उनकी । उनकी  बात काटने की