Budhape se Jawani ki Aur book and story is written by r k lal in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Budhape se Jawani ki Aur is also popular in Comedy stories in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
बुढ़ापे से जवानी की ओर (सच्ची घटना) - Novels
by r k lal
in
Hindi Comedy stories
“अरे अंकल! चल रहे हैं “? राहुल ने पूछा।
कहां चलना है, पूछने पर राहुल ने उत्तर दिया, “आपको पता नहीं है, दो दिन पहले राकेश अंकल गिर पड़े थे जिससे उनके कमर की हड्डी टूट गई थी, अस्पताल में भर्ती थे। अभी एक घंटे पहले घर आ गए हैं। डॉक्टर ने तीन महीने तक बेड रेस्ट बताया है”।
अंकल ने कहा, भाई हमें तो पता ही नहीं। चलो चलते हैं उन्हें देखते हैं।
दोनों जब उनके घर पहुंचे तो देखा कि राकेश जी बिस्तर पर सीधे पड़े थे और उनके पैर से एक ईट लटका कर तनाव दिया गया था। उनकी पत्नी पास ही बैठी थीं। बोली, “देखा भाई साहब! इस उम्र में इनको जवानी सूझ रही थी, कल रात एक दोस्त की बर्थडे पार्टी में गए थे। केक कटने के बाद कुछ पुरुष और महिलाएं डांस करने लगीं। पहले भी शादी ब्याह में अक्सर इनको गाने और डांस का शौक चढ़ता था। इन्होंने अपनी पसंद का गाना बजवाया, दिल लेने वालों दिल देना सीखो, फिर कहा कि बजाओ ये लड़की जरा सी दीवानी लगती है । ऐसी धुन सुनकर चार-पांच बुजुर्गों को लेकर ये भी फ्लोर पर उतर गए और देवानंद की तरह थिरकने की भोदी एक्टिंग करने लगे।
बुढ़ापे से जवानी की ओर (सच्ची घटना) आर० के० लाल “अरे अंकल! चल रहे हैं “? राहुल ने पूछा। कहां चलना है, पूछने पर राहुल ने उत्तर दिया, “आपको पता नहीं है, दो दिन पहले राकेश अंकल गिर ...Read Moreथे जिससे उनके कमर की हड्डी टूट गई थी, अस्पताल में भर्ती थे। अभी एक घंटे पहले घर आ गए हैं। डॉक्टर ने तीन महीने तक बेड रेस्ट बताया है”। अंकल ने कहा, भाई हमें तो पता ही नहीं। चलो चलते हैं उन्हें देखते हैं। दोनों जब उनके घर पहुंचे तो देखा कि राकेश जी बिस्तर पर सीधे पड़े थे
बुढ़ापे से जवानी की ओर -2 (सच्ची घटना) आर० के० लाल राकेश जी का भतीजा नीरज छुट्टियां बिताने एक हफ्ते से उनके यहां आया था । रिटायर होने के बाद राकेश अपनी ज्वाइंट - फैमिली को छोड़ कर अपने ...Read Moreसुमित के यहां नोएडा चले आए थे। नीरज ने सोचा था कि नोएडा चलकर खूब मस्ती करेंगे और चाचा के साथ खूब घुमेंगे, मॉल जाकर पी वी आर में मूवी देखेंगे मगर यहां जाकर उसने महसूस किया कि उसके चाचा तो पहले वाले जिंदादिल इंसान रह ही नहीं गए हैं और वे काफी बदल गए हैं। उनकी मानसिकता संकीर्ण सी
बुढ़ापे से जवानी की ओर -3 (सच्ची घटना) आर० के० लाल शर्मा जी आजकल कुछ ज्यादा ही परेशान रहते हैं। वैसे तो रिटायरमेंट के बाद उन्होंने अपने जीवन जीने का नजरिया ही बदल दिया था और एकदम निश्चिंत हो ...Read Moreमस्त लाइफ बिताने लगे थे । उनकी कोई लायबिलिटी नहीं बची थी। सभी बच्चों की शादी कर चुके थे जो अपने-अपने काम में व्यस्त थे। शर्मा जी दिन भर दोस्तों के साथ घूमते फिरते, क्लब में बैठकर ताश खेलते और आए दिन कभी अपनी पत्नी के साथ तो कभी दोस्तों के साथ पी वी आर चले जाते। चटपटे खाने का
बुढ़ापे से जवानी की ओर - 4 (सच्ची घटना) आर० के० लाल रुक्मणी के साथ भी वैसा ही हुआ जैसा अक्सर अन्य लोगों के साथ होता है। रुक्मणी केंद्रीय विद्यालय में प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत थी और ...Read Moreसाल पहले सेवा-निवृत हुई थी। इन दो वर्षों में ही वे बहुत उम्र वाली लगने लगी थी । सेवाकाल की एक्टिवनेस, चुस्त-दुरुस्त स्टाइलिश साड़ी ड्रेपिंग सहित लुभावना मेक-अप न जाने कहाँ विलुप्त हो चुका था। पड़ोसी भी कहते क्या ये वही प्रिंसिपल साहिबा हैं जिनका कभी रुतबा हुआ करता था । बड़ी इज्जत थी उनकी । उनकी बात काटने की