असमर्थों का बल समर्थ रामदास - भाग 21

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दासबोध ग्रंथ – अल्प परिचयमन, बुद्धि और शक्ति (शारीरिक सामर्थ्य ) का महत्त्व जानकर समर्थ रामदास ने तत्कालीन समाज को क्रियाशीलता का मंत्र दिया। आजीवन समाज को एकसंघ और कर्मनिष्ठ बनाने का व्रत निभानेवाले संत श्रीसमर्थ रामदास ने अपने विचारों और वाणी से पूरे हिंदुस्तान में जागृति लाने का कार्य किया।लगभग चार सौ साल पहले उनकी वाणी द्वारा निकले हुए उपदेश– समय के साथ ग्रंथरूप में अमर हो गए। ये ग्रंथ आज भी समाज को ज्ञान का प्रकाश दे रहे हैं। पूरे मानव समाज को सकारात्मकता की तरफ ले जानेवाले ये ग्रंथ ईश्वरीय चैतन्य की अनुभूति से कम नहीं हैं।उनमें