प्रभु श्रीराम का उपहार

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वाजिद हुसैन की कहानी आज उसका जन्मदिन था‌। उसकी बगिया में सूरज की धूप चमक रही थी। नालिनी के फूल अपनी लंबी डंडियों पर संतरियों की तरह सीधे खड़े थे। वे नीचे घास में उगे गुलाबो की तरफ अपेक्षा से देख कर कह रहे थे, 'सुंदरता में हम भी तुमसे कम नहीं।' नेहा की नज़र तो काले गुलाब के फूल पर गड़ी थी। बगिया में जब वह खिलता है, प्रेमी युगल मुंह मांगा मूल्य देने को तत्पर रहते पर नेहा कहती थी, 'इसका मूल्य चुकाना इंसान के बस में नहीं है, यह तो प्रभुु के लिए खिला है, जो बगिया