नि:शब्द के शब्द - 26

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नि:शब्द के शब्द / धारावाहिक/छ्ब्बीसवां भागसोये हुए मानव कंकाल'बेटी, तुम ठीक तो हो न?'प्रीस्ट महोदय ने मोहिनी के सिर पर अपना हाथ रखते हुए उससे कहा तो मोहिनी उठकर खड़ी हुई और फफक-फफक कर रो पड़ी. उसे रोते हुए देखकर, प्रीस्ट ने यह समझा कि, वह शायद अपने उस प्रियजन की याद में रो रही है कि, जिसकी कब्र पर वह अगरबत्तियाँ जलाने आई है. सो, उसकी मनोदशा को गौर से समझते हुए उन्होंने उसे तसल्ली दी और कहा कि,'बेटी ! हम सभी को एक दिन इस नाश्मान संसार से जाना है. और जो यहाँ से चला गया है, वह