पड़ोसन की मी टू

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पड़ोसन की मी टू आजकल ‘मी टू’ का कहर किसी सुनामी से कम नहीं, जिसने हमारे जैसे किसी भी बेहद ही शरीफ और संवेदनशील मर्द के बच्चे को, जिसने कभी धोखे से भी स्कूल, कॉलेज या ऑफिस के दिनों में या अपने पास-पड़ोस या रास्ते में आते-जाते किसी खूब/कम सूरत/सीन बला/अबला को छू लिया हो, या घूर कर देख लिया हो, उनकी नींद हराम कर रखा है। अब तो हमारे जैसे भले लोग बहुत ही एलर्ट हो गए हैं। हम तो अपना वर्तमान और भविष्य दोनों ही सुरक्षित करने का प्रण ले चुके हैं, परंतु इतिहास का क्या करें ?