फ़िल्म 'दुकान'की प्रेरणा - आनंद की डॉ. नयना पटेल

  • 2.9k
  • 309

[ नीलम कुलश्रेष्ठ ] उनकी आँखों से झर झर आंसू झर रहे हैं, गालों पर बह रहें हैं -नहीं नहीं ये उनके दिल में बिंधी तीखे दंशों की डोरियाँ हैं जो गालों से आगे तक बहकर लगातार आँचल में गिर रहीं हैं.  उनका नाम कुछ भी हो सकता है -कोकिला बेन, जया बेन, सुगुना बेन या कुछ भी लेकिन वे रोते हुए भाव विह्वल हो हाथ में लिए नवजात शिशु को बार बार चूमतीं हैं. उस बच्चे का चेहरा आंसुओं से भीग जाता है. वे कहतीं हैं, "सब कहतें हैं सबसे कष्टदायक होती है प्रसव पीड़ा लेकिन एक बाँझ औरत