द्वारावती - 10

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10 अरबी समुद्र रात्री के आलिंगन में आ गया। द्वारका नगर की घड़ी ने आठबार शंखनाद किया। समुद्र तट की शांति मेँ वह नाद स्पष्ट सुनाई दिया।उत्सव ने आज प्रथम बार उस शंखनाद को ध्यान से सुना। उसे उस नाद मेंकृष्ण के पांचजन्य का शंखनाद सुनाई दिया। उसे कुरुक्षेत्र याद आ गया।‘कैसा विराट स्वरूप होगा उस रणभूमि में कृष्ण का?’ उत्सव ने मन ही मनकृष्ण के विराट स्वरूप की कल्पना की, उसे प्रणाम किया।गुल ने उस ध्वनि को सुना। स्वयं को भूतकाल से वर्तमान में खींचा। उत्सवको देखा। वह हाथ जोड़े खड़ा था।“उत्सव, तुम किसे प्रणाम कर रहे हो? यहाँ