काला घोड़ा - रहस्य का दरवाज़ा - भाग 1

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काला घोड़ा रहस्य का दरवाज़ा भाग 1 अध्याय 1 : दूसरा जन्मठंडी हवा गाँव के बाँस के झुरमुटों को चीरती हुई आगे बढ़ रही थी। रात का सन्नाटा इतना गहरा था कि जैसे धरती खुद अपनी साँस रोक कर खड़ी हो। दूर कहीं किसी कुत्ते के भौंकने की आवाज़ आई और फिर अचानक — ठक… ठक… ठक… घोड़े की टापों जैसी आवाज़ गूँजने लगी।गाँव वाले अपनी झोपड़ियों में दुबके हुए थे। कोई दरवाज़ा खोलने की हिम्मत नहीं करता था। सभी को मालूम था कि यह आवाज़ उसी काले घोड़े के स्मारक की तरफ़ से आती है, जहाँ दशकों से कोई भी