साजिश

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साजिश 1 नितिन पसीना पसीना होते हुए नींद से जाग गया। बहुत डरावना सपना था, लग रहा था कि कोई उसका गला पकड़ना चाहता था। सर्दियों का मौसम था। रात्रि का सन्नाटा अपने जोरों पर था। चारों ओर नीरवता फैली हुई थी कि सुई गिरने की आहट भी आसानी से सुनाई पड़ सकती थी। रात्रि का दूसरा पहर शुरू हो चुका था। नितिन अग्रवाल की कोठी अँधेरे में नहाई हुई थी। जहाँ-तहाँ नाइट बल्ब अपना मद्धिम प्रकाश फैला रहे थे। दो चौकीदार अपनी ड्यूटी पर तैनात थे। कोठी के सभी सदस्य नितिन के पापा मम्मी और उसकी

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साजिश - 1

साजिश 1 नितिन पसीना पसीना होते हुए नींद से जाग गया। बहुत डरावना सपना था, लग रहा कि कोई उसका गला पकड़ना चाहता था। सर्दियों का मौसम था। रात्रि का सन्नाटा अपने जोरों पर था। चारों ओर नीरवता फैली हुई थी कि सुई गिरने की आहट भी आसानी से सुनाई पड़ सकती थी। रात्रि का दूसरा पहर शुरू हो चुका था। नितिन अग्रवाल की कोठी अँधेरे में नहाई हुई थी। जहाँ-तहाँ नाइट बल्ब अपना मद्धिम प्रकाश फैला रहे थे। दो चौकीदार अपनी ड्यूटी पर तैनात थे। कोठी के सभी सदस्य नितिन के पापा मम्मी और उसकी ...Read More

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साजिश - 2

साजिश 2 थोड़ी देर बाद सीटी बजाते हुए विशाल आया और फिर नितिन के कन्धे हाथ मारकर बोला-हाँ यार अब बोल तेरा क्या रोग है? फिर ऊँची आवाज में बोला-कनु, कनु जरा एक इंजेक्शन तो लगा देना इसे बुखार का। लगता है इसका बुखार पूरी तरह से उतरा नहीं है। नितिन का मुँह फूल गया वह गुस्से में बोल उठा-देखो विशु तुम मुझे परेशान मत करो वरना.... । विशाल बीच में ही बोल उठा-वरना तुम मेरा क्या कर लोगे। नितिन ने कहा-वरना मैं तुम्हारा नहीं अपना सिर फोड़ लूँगा और पट्टी बँधवाने तुम्हें ही जाना ...Read More

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साजिश - 3

साजिश 3 विशाल सैल वाली घड़ी बाँधे था जिसमें टॉर्च भी फिट थी। उसने टॉर्च टाइम देखा साढ़े बारह बज रहे थे उसने नितिन को कोहनी मारी और फुसफुसाया-क्यों बे झूठ बोलता है। अभी तक तेरा वो ससुर नहीं आया। नितिन चिढ़कर धीरे से बोला-देख भेजा मत खा, चुपचाप पड़ा रह। इतने में ही कहीं कार रुकने की आवाज आई। वे शान्त लेट गए जैसे गहन निद्रा में हों। पद-ध्वनियाँ धीरे-धीरे नजदीक आती जा रही थीं। उन लोगों ने अपने कान खड़े कर लिए और विशाल ने टेप चालू करके खिड़की में किवाड़ के पीछे रख दिया। ...Read More

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साजिश - 4

साजिश 4 घर जाकर दोनों ने मम्मी पापा को तो चुटकियों में पटा लिया और जल्दी ही कॉलोनी को आमन्त्रित भी कर दिया विशेषकर कोठी के बाई ओर वालों को किसी को भी नहीं छोड़ा। वे दोनों शाम के समय जूतों वाला नाप लेकर जूते की दुकान पर पहुँचे तो पता चला कि एक आठ नम्बर का नाप है और एक सात नम्बर का। वे उससे लिखित में लिखवा लाए और वह बटर पेपर भी सँभालकर रख लिया जिसमें जूतों का नाप था । और सबसे मजे की बात तो यह थी कि नितिन के पापा को ...Read More

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साजिश - 5

साजिश 5 चौथे-पाँचवें मकान का पता करने पर ज्ञात हुआ कि उसमें डेविड अंकल रहते ये फोटो भी धुलवा कर ले आए। उन्होंने पार्टी वाली डेविड अंकल की फोटो निकाली और नकली दाढ़ी-मूछ लगाकर उस फोटो से मिलाया तो दोनों मिल रहीं थी। इन सब बातों से वे इस निष्कर्ष पर पहुँच गए कि भारी आवाज वाले डेविड अंकल ही थे जो कि बॉस थे लेकिन उन्हें विश्वास नहीं आ रहा था। क्योंकि वे एक नेक व शरीफ इन्सान थे। उन्होंने टेप की आवाजों का मिलान किया वह भी पूर्णरूपेण वही थी। दूसरे दिन उन्होंने एकान्त में ...Read More