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साजिश - 5

साजिश 5

चौथे-पाँचवें मकान का पता करने पर ज्ञात हुआ कि उसमें डेविड अंकल रहते हैं। ये फोटो भी धुलवा कर ले आए। उन्होंने पार्टी वाली डेविड अंकल की फोटो निकाली और नकली दाढ़ी-मूछ लगाकर उस फोटो से मिलाया तो दोनों मिल रहीं थी। इन सब बातों से वे इस निष्कर्ष पर पहुँच गए कि भारी आवाज वाले डेविड अंकल ही थे जो कि बॉस थे लेकिन उन्हें विश्वास नहीं आ रहा था। क्योंकि वे एक नेक व शरीफ इन्सान थे। उन्होंने टेप की आवाजों का मिलान किया वह भी पूर्णरूपेण वही थी। दूसरे दिन उन्होंने एकान्त में पापा से सभी बातें कह डालीं और सभी प्रमाण प्रस्तुत कर दिए। वे दोनों की इस चतुराई पर हतप्रभ हो उठे इसके बाद नितिन के पापा ने पुलिस स्टेशन जाकर बात की।

धीरे-धीरे छठा दिन भी आ पहुँचा। कोठी के चारों ओर छिपकर पुलिस हथियारों से लैस बैठी थी। क्योंकि वे अपराधी को रंगे हाथों पकड़ना चाहते थे। बावर्ची को शाम को ही गिरफ्तार कर लिया था। लेकिन किसी को कानों-कान खबर नहीं हो पाई थी। परन्तु उसने उस सम्बन्ध में अधिक सूचना नहीं दी। उसको तो केवल खाने में नींद की गोलियाँ मिलाने का आदेश था और इसके लिए उसे एक दिन के एक

हजार रुपए मिलते थे । रात्रि के बारह बजने को आ गए थे। एक कार आकर रुकी तत्पश्चात् बाईं ओर से एक और परछाई आ गई। कार वाली परछाईं ने उतरकर चौकीदारों को एक-एक सिगरेट पिलाई जिसका नशा उन पर छाता गया और वे बेसुध हो गए।

फिर उन्होंने डिग्गी में से एक पेटी उठाई जिसमें शायद सोने के विस्कुट भरे हुए थे। वे चलकर बगीचे में आए जहाँ नितिन और विशाल छुपकर पहले से ही विराजमान थे उन्होंने आधे बिस्कुट बरगद के पेड़ के खोखले में डाल दिए। विशाल ने फटाफट पोज ले लिया। प्रकाश पड़ने पर वे लोग घबरा गए और तेजी से घूमे तो सामने नितिन और विशाल खड़े थे। वे दोनों गने लगे। इतने में ही पुलिस ने आकर उन्हें धर दबोचा। पेटी को भी साथ में ले लिया क्योंकि उस पर इन दोनों के हाथों के निशानात थे।

उनके जूतों के निशानों को भी पहले के निशानों से मिलाया गया ।

जीवन थे। उनकी दाढ़ी मूंछों को हटाया गया एक डेविड अंकल थे और दूसरा उनके बावर्ची का भाई था । डेविड अंकल के कहे अनुसार पाँच-छः साल पहले नितिन के पापा ने डेविड अंकल को रिश्वत लेने के जुर्म में गिरफ्तार करवा दिया था। उनकी नौकरी भी हाथ से चली गई थी और बेइज्जती का सामना करना पड़ा था वो अलग, तभी से उनके सीने में बदले की ज्वाला धधक रही थी और उन्होंने नितिन के पापा को भी नीचा दिखाने की ठान ली थी। जिसकी योजना के तहत उन्होंने यह सब कार्य किया। उन्हें भाग्यवश कोठी के बावर्ची का भाई जैक मिल गया जिसे लालच देकर अपने साथ मिला लिया और बावर्ची को भी डरा धमकाकर काम निकाल लिया जाता था । जिस दिन उन लोगों को कोठी जाना होता था, उस दिन बावर्ची को खाने में नींद की गोलियाँ मिलानी होती थीं। डेविड अंकल ऊपर मन से तो नितिन के पापा के दोस्त बने हुए थे लेकिन अन्दर से वे उनके दुश्मन थे । वे उन्हें अपने जाल में फँसाने के लिए उनकी कोठी में माल रखवाते थे और किसी दिन पुलिस को खबर करके उन्हें पकड़वा देते। दूसरे दिन पुलिस ने मिस्टर चूड़ीवाला तथा एयरपोर्ट पर जाकर मिस कॉल को हीरों सहित पकड़ लिया। उन लोगों पर मुकदमा चला और उन्हें सजा हो गई।

इधर सभी लोग नितिन और विशाल की भूरि-भूरि प्रशंसा कर रहे थे। ऐसे नामी स्मगलरों को पकड़ने के उपलक्ष में सरकार ने उन्हें पुरस्कार दिया। अखबार में उनकी फोटो भी छापी गई।

विशाल ने नितिन से कहा-क्यों बे! तुझे अपना वादा याद है या नहीं।

नितिन बोला-क्या?

विशाल ने कहा-एक पिक्चर। वादा किया था न काम के बाद दिखाओगे।