मेरी लेखन यात्रा

(4)
  • 20.5k
  • 0
  • 7.9k

मेरा जन्म कृषक परिवार में हुआ था।पुश्तेनी पेशा खेती था।लेकिन बाद में सर्विस में भी आने लगे थे।मेरे बड़े ताऊजी रेलवे में ड्राइवर थे।उनसे छोटे खेती सम्हालते थे।उनसे छोटे हेड मास्टर थे।और मेरे पिता रेलवे पुलिस मेंथे।मेरा जन्म गुजरात राज्य के मेहसाणा में 1950 में हुआ था। मेरे पिता का साल दो साल में ट्रांसफर होता रहता था।इसलिए मेरी शिक्षा अलग राज्यी के अलग शहरों में हुई। क्लास तीन तक मे जामनगर और राजकोट में हुई।क्लास चार मैने बांदीकुई में पढ़ी।क्लास पांच अछनेरा में और क्लास छ और सात बांदीकुई में क्लास आठ और नौ अजमेर में क्लास दस ब्यावर में क्लास गयारह आबूरोड में फिर बी एस सी प्रथम और द्वितीय वर्ष जोधपुर में यह पिता की म्रत्यु की वजह से अधूरी रह गई।और मुझे अनुकम्पा के आधार पर रेलवे में नौकरी मिल गयी।सर्विस में आने के बाद मैने सेंट जोहन्स कॉलेज आगरा में बी ए में एड्मिसन लिया और बी ए किया।फिर आगरा कॉलेज में लॉ में एड्मिसन लिया।लेकिन मुझे इसमें रुचि नही थी।इसलिए फर्स्ट सेमेस्टर के बाद छोड़ दिया।

New Episodes : : Every Friday

1

मेरी लेखन यात्रा - 1

मेरा जन्म कृषक परिवार में हुआ था।पुश्तेनी पेशा खेती था।लेकिन बाद में सर्विस में भी आने लगे थे।मेरे ताऊजी रेलवे में ड्राइवर थे।उनसे छोटे खेती सम्हालते थे।उनसे छोटे हेड मास्टर थे।और मेरे पिता रेलवे पुलिस मेंथे।मेरा जन्म गुजरात राज्य के मेहसाणा में 1950 में हुआ था।मेरे पिता का साल दो साल में ट्रांसफर होता रहता था।इसलिए मेरी शिक्षा अलग राज्यी के अलग शहरों में हुई। क्लास तीन तक मे जामनगर और राजकोट में हुई।क्लास चार मैने बांदीकुई में पढ़ी।क्लास पांच अछनेरा में और क्लास छ और सात बांदीकुई में क्लास आठ और नौ अजमेर में क्लास दस ब्यावर में ...Read More

2

मेरी लेखन यात्रा - 2

इससे पहलेलेखन की शुरुआत होने पर मैं दो लोगो के सम्पर्क में आया।पहला राजेन्द्र जैन।इसकी कहानी भी थी।जैसा उसने बताया वह हिमाचल का रहने वाला था।उसके पिता ने शादी कर ली थीं।सौतेली माँ से परेशान होकर वह घर से भाग आया था।और आगरा फोर्ट स्टेशन पर ए एच् व्हीलहर की बुकस्टाल पर काम करता था।उन दिनों में छोटी लाइन के बुकिंग ऑफिस में काम कर रहा था।लिखना शुरू हो चुका था।मेरी कहानियां फिल्मी दुनिया,ग्लेमर,सीने दर्पण,रोमांटिक दुनिया,सच्चे किस्से,लोटपोट,नन्हे सम्राट,फ़िल्म रेखा,अरुण आदि पत्रिकाओं में निकलने लगी थी।मैं बुक स्टाल पर पत्रिकाएं देखने के लिए जाता था।राजेन्द्र मेरा हमउम्र था।उससे दोस्ती हो ...Read More

3

मेरी लेखन यात्रा - 3

दामोदर भी बुक स्टाल की ट्राली पर काम करता था।गोकुल का रहने वाला था।उसके जीवन मे संघर्ष, प्रेम,रोमांस,रोमांच उसके जीवन की घटनाओं को आधार बनाकर मैने बहुत कुछ लिखा।और मेरा ट्रांसफर हो गया। फिर उसे भी बुकस्टाल की नौकरी छोड़नी पड़ी।फिर उसने राजामंडी पर चाय की दुकान लगा ली थी।और फिर एक दिन परिवार के साथ आगरा छोड़कर चला गया।कहां पता नही।अम्बाला के कहानी लेखन महाविद्यालय से कहानी लेखन का कोर्स करने के बाद मेरा लेखन शुरू हो गया था।शुरू में जरूर परेशानी हुई लेकिन फिरकजरारी के अलावा हिमाचल टाइम्स,उत्तर उजाला,स्वराज टाइम्स,निशा नरेश आदि अनेक पत्र पत्रिकाओं में रचनाये ...Read More

4

मेरी लेखन यात्रा (भाग 4)

लाल निशान (भरतपुर,)फतेहपुर सन्देश,जेलस टाइम्स,नीरज ज्योति, उत्तर उजाला,दिशा नरेश,स्वराज टाइम्स,अजीत समाचार,नवल,जाह्नवी,राष्ट्रधर्म,पंजाब सौरभ,मित्र संगम,जगमग दीप ज्योति,साहित्य जनमंच,गगनांचलनन्हे सम्राट,कत्यूरी मानसरोवर,केरल ज्योति,मैसूर प्रचार परिषद पत्रिका,बाल प्रहरी,सुमन सागर,कथासमय, हरिगन्धा,साक्षात्कार,अदबी माला, अदब नामा,साहित्य भारती, अहा जिंदगी,एक लंबी लिस्ट है।सन 1978 से लगातार बिना रुके लेखन कार्य जारी है।शुरू में जब लेखन की शुरुआत हुई तब मेरी 8 घण्टे की ड्यूटी रहती थी।शिफ्ट ड्यूटी बदलती रहती थी।कभी सुबह की शिफ्ट,कभी दोपहर और कभी रात।कोई भी शिफ्ट हो।मैं लिखता जरूर था।उन दिनों देश प्रदेश की पत्रिको में लेखन के साथ करीब 2 दशक तक बसन्त प्रकाशन के लिए भी लिखा।उसका कोई रिकॉर्ड नही रखा।हॉ वहा से ...Read More